Menu
blogid : 16867 postid : 659305

भूल

lehari
lehari
  • 5 Posts
  • 6 Comments

एड्स दिवस के अवसर पर यह कविता पेश है-
भूलprem
मिली थी हमारी आंखे मेले में,
हुआ था प्यार हम दोनों के बीच में,
उन्होंने लिया प्यार से मुझे अपनी बाहो में,
पिघल गई मैं उस प्यार के बंधन में,
भूल गए थे हम कंडोम के बारे में,
पकड़े गए हम एड्स के पंजो में,
टूट गया संसार,बिखर गए सपने…….
एक ही क्षण में,
देखा था हम ने नफऱत लोगों की आंखों में,
झुक गई हमारी नज़र शर्मिंदगी में,
गम भरे बादल छा हमारी ज़िन्दगी में,
जीना मुश्किल हुआ इस शक्की दुनिया में,
दर्द का दरिया बहाने लगा हमारे दिल में,
सैकड़ों प्रश्न उठने लगे हमारे मन में,
मिल गया दंड,बिखर गए सपने……..
फिर क्यों जीना दुश्वार हो गया इस संसार में,
हमने जो किया भूल किया न करें कोई और,
हम भी जीना चाहते है इस जग में कुछ पल और!
-श्री पुष्पा (लक्ष्मी वी पी)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh